एक पल के लिए
जब किसी पर
दिल ठहर जाए
वो प्यार ही क्या
एक पल में फिर वो
किसी और के लिए
मचल जाए
वो प्यार ही क्या
जिस प्यार को
पाने के लिए
न कर सके थोड़ा इंतजार
वो प्यार ही क्या
जिस प्यार को
जीने के लिए
न करे खुद को बेकरार
वो प्यार ही क्या
जो तुम्हारे बिन बोले
न समझ सके
तुम्हारे निशब्द लफ्ज़ों को
वो प्यार ही क्या
जब तक न हो
दिल परेशान
एक पल के दीदार का
वो प्यार ही क्या
घायल दिल और
बेजुबान ओंठ
और तड़पती आंखे
जब तक न हो ऐसी बातें
वो प्यार ही क्या
घायल दिल और
बेजुबान ओंठ
और तड़पती आंखे
निशानी है
उस प्यार की
जिसमें डूबकर
निकलना मुश्किल हो जाता है
🗒️🖋️🖋️🖋️शिवमणि"सफर"(विकास)
No comments:
Post a Comment