ये पतले पैर
काली चमड़ी
सूखे चेहरे
कुरूपता के अंश नहीं
नंगेपन के दंश नहीं|
ये मेहनती हाथ
कइयों के साथ
थकी आँख
झुलसी पांख
कंगाली के हाथ नहीं
बदहाली के पास नहीं|
ये करते हैं आजीवन परिश्रम
भरते हैं आसुओं से भ्रम
जो मिलता हैं खुश रहते हैं
न मिले तो बस आह भरते हैं|
फिर लगते हैं पाने को
जिंदगी नयी बनाने को
बस कुछ ही सफल होते हैं
बाकी सब गर्त में रोते हैं|