Showing posts with label देश का कर्ज. Show all posts
Showing posts with label देश का कर्ज. Show all posts

देश का कर्ज

देश का कर्ज बहुत है हम पर,
उसको कौन चुकाएगा।
देश ने हम पर सब कुछ वारा,
उसको कौन भर पायेगा ।
क्रांतिकारियों के लहू की निशा,
भला कौन मिटा पाएगा।
वीरों के सर-जमीन के ऊपर,
भला कौन नजर टिकायेगा।
महापुरुषों ने अपनी जान लुटाई,
तो हमने एक नई जिंदगी पायी।
वीरों ने अपना बलिदान दिया,
तो इस देश ने आजादी पाई।
बोस ने त्यागा हमारे लिए,
अपनी खुशी अपना घर-बार।
देश के आजादी के लिए,
कर दिया अपना जीवन कुर्बान।
भगत  चढ़ गए फांसी पर,
करने हम सबका उद्धार।
उनके इस बलिदान से,
जन्मे भगत हजार।
निकल पड़े सपूत भारत माता के,
हाथों में लेकर हथियार।
आजादी के लिए किया निछावर,
अपना तन मन धन घर-बार।
जिस दिन आए जनसामान्य आगे,
शक्ति बढ़ी देश की कई हजार।
अबलाओं ने भी आगे आकर,
दिखाया अपना नया अवतार।
तब जाकर सांस में सांस आई,
जिस दिन खत्म हुई लड़ाई।
देश ने  लहराया अपना झंडा,
उस दिन खुशियों की बहार आई।


                  🗒️🖋️🖋️🖋️  शिवमणि"सफ़र"(विकास)

New Posts

कीड़े

कीड़े धानो के खेतों में धानो को खाते हैं उनके जड़ों और तनों को चबाते ही जाते हैं फिर एक दिन मर जाते हैं उसी खेत में मिल जाते हैं उसी मिट्टी ...