आज भगाओगे मुझें,
फिर भी दिल परेशान नहीं,
क्योंकि तुम में कोई सच्चा इंसान नहीं।
फिर भी दिल परेशान नहीं,
क्योंकि तुम में कोई सच्चा इंसान नहीं।
तुमसे दूर मैं जाऊं कहां,
जब तुममें ही मेरा घर हैं,
क्योंकि तुममें कोई सच्चा इंसान नहीं।
जब तुममें ही मेरा घर हैं,
क्योंकि तुममें कोई सच्चा इंसान नहीं।
कोई ज्ञानी आज तुम्हें,
मुझे भगाने का देगा भेद नहीं,
क्योंकि तुममें कोई सच्चा इंसान नहीं।
मुझे भगाने का देगा भेद नहीं,
क्योंकि तुममें कोई सच्चा इंसान नहीं।
सच्चाई को आज भी तुम्हारे,
आने का इंतजार नहीं,
क्योंकि तुम में कोई सच्चा इंसान नहीं।
आने का इंतजार नहीं,
क्योंकि तुम में कोई सच्चा इंसान नहीं।
तेरा चंचल मन, अधीर नयन,
क्या दूर भगाएंगे मेरा भ्रम,
मैं फिर आऊंगा झूठ बन,
क्योंकि तुम में कोई सच्चा इंसान नहीं।
क्या दूर भगाएंगे मेरा भ्रम,
मैं फिर आऊंगा झूठ बन,
क्योंकि तुम में कोई सच्चा इंसान नहीं।
🗒️🖋️🖋️🖋️ शिवमणि"सफ़र"(विकास)