बारिश आई,बारिश आई,
सब बच्चों में खुशियां छाई,
घुमड़-घुमड़ कर बादल आए,
पवन के झोंके संग मिलाएं।
सब बच्चों में खुशियां छाई,
घुमड़-घुमड़ कर बादल आए,
पवन के झोंके संग मिलाएं।
रिमझिम-रिमझिम बरसा पानी,
सब बच्चों ने कही जुबानी,
उछल कूद कर हम नाचेंगे,
दादा हम सबको क्यों डाटेगें।
सब बच्चों ने कही जुबानी,
उछल कूद कर हम नाचेंगे,
दादा हम सबको क्यों डाटेगें।
भीगते हुए पापा घर पर आए,
हम सब के लिए जामुन लायें,
सब बच्चों ने जामुन खाया,
मिलकर सबने धूम मचाया।
हम सब के लिए जामुन लायें,
सब बच्चों ने जामुन खाया,
मिलकर सबने धूम मचाया।
सब बच्चों ने नाव बनाया,
नावको सबने जल में बहाया,
उस पर बैठाया एक बुड्ढा बुड्ढी,
आगे हम को मिल गई एक बुड्ढी।
नावको सबने जल में बहाया,
उस पर बैठाया एक बुड्ढा बुड्ढी,
आगे हम को मिल गई एक बुड्ढी।
उसने हम सबको समझाया,
बीमारी से हम को डराया,
हम सब दौंडकर घर पर आए,
दादी को सब बात बताएं।
बीमारी से हम को डराया,
हम सब दौंडकर घर पर आए,
दादी को सब बात बताएं।
उन्होंने बोला प्यारे बच्चों,
तुम सब हो दिल के सच्चें,
आओ तुम्हें मैं एक बात बताऊं,
बीमारी को तुम सबसे दूर भगाऊं।
तुम सब हो दिल के सच्चें,
आओ तुम्हें मैं एक बात बताऊं,
बीमारी को तुम सबसे दूर भगाऊं।
तुम सब प्रतिदिन सुबह नहाओ,
सुबह नहाकर विद्या मंदिर जाओ,
तुम सब प्रतिदिन विद्या मंदिर जाओगे,
तो तुम सब ज्ञानी बन पाओगे।
सुबह नहाकर विद्या मंदिर जाओ,
तुम सब प्रतिदिन विद्या मंदिर जाओगे,
तो तुम सब ज्ञानी बन पाओगे।
ज्ञान से तुम गुणवान बनोगे,
देश की पहचान बनोगे,
सब तुम्हारे गुण गायेंगे,
तुम्हारे ही गुण अपनाएंगे।
देश की पहचान बनोगे,
सब तुम्हारे गुण गायेंगे,
तुम्हारे ही गुण अपनाएंगे।
🗒️🖋️🖋️🖋️ शिवमणि"सफ़र"(विकास)