Showing posts with label शांति का दूत. Show all posts
Showing posts with label शांति का दूत. Show all posts

शांति का दूत



 वो फूल
जुड़ने के लिए आया था
शांति का संदेशा लाया था
किसी हाथों ने आगे बढ़ाया था
किसी और के हाथों में
अपने-पन का अहसास के लिए
कुछ भूले बातों की याद के लिए 
एक फ़रियाद लेकर आया था
वो शख्स
उस फूल में अपने जज्बात ले कर आया था|


बस एक खाता हुई 
किसी और की वज़ह से हुई 
उसके घमंड और क्रोध से
वह फूल जमीं पर जा गिरा
उसके प्रतिकार में
वह भी उससे जा भिड़ा
प्रेंम बचाव की कोशिश में
उनके बीच अधमरा
क्रोध ज्वालायमान था
उस वक्त प्रधान था
बल में, तन और मन में|


शांति का दूत
कोमल मन से युक्त
वह श्वेद सा पुष्प
पहले मिट्टी से धूमिल 
फिर पैरों से उसमे मिल
अपना गुण भूल गया
मिल मिट्टी में उसी सा हो गया|


                  🗒️🖋️🖋️🖋️  शिवमणि"सफ़र"(विकास)

New Posts

कीड़े

कीड़े धानो के खेतों में धानो को खाते हैं उनके जड़ों और तनों को चबाते ही जाते हैं फिर एक दिन मर जाते हैं उसी खेत में मिल जाते हैं उसी मिट्टी ...