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बातों बातों में

बातों बातों में
दिल के मुलाकातों में
ढूंढता हुआ खुद को
मैं
जिंदगी में बहुत मशहूर
पर दिल से बहुत दूर
ढूंढता किसी अपने को
मन में दबे किसी सपनें को
न किसी फैसले की स्थिति
न ही दर्द की अनुपस्थिति
दिन गुजर जाता है
रात गुजर जाती हैं
दिल की बात 
दिल में ही रह जाती हैं
कभी फिर मिला समय 
खुद को तो
दिल, दिल से ही
फिर वही बात दोहराता हैं
वही दर्द, वही प्यार
वही इंतजार और वही खुमार
फिर भी
बातों बातों में
जिंदगी निकल जाती हैं
पर बात पूरी न हो पाती हैं
पर आस पूरी न हो पाती हैं

बातों बातों में

बातों बातों में
दिल के मुलाकातों में
ढूंढता हुआ खुद को
मैं
जिंदगी में बहुत मशहूर
पर दिल से बहुत दूर
ढूंढता किसी अपने को
मन में दबे किसी सपनें को
न किसी फैसले की स्थिति
न ही दर्द की अनुपस्थिति
दिन गुजर जाता है
रात गुजर जाती हैं
दिल की बात 
दिल में ही रह जाती हैं
कभी फिर मिला समय 
खुद को तो
दिल, दिल से ही
फिर वही बात दोहराता हैं
वही दर्द, वही प्यार
वही इंतजार और वही खुमार
फिर भी
बातों बातों में
जिंदगी निकल जाती हैं
पर बात पूरी न हो पाती हैं


                  🗒️🖋️🖋️🖋️  शिवमणि"सफ़र"(विकास)

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