बनारस की गलियां
वर्गाकार चट्टे
घुमावदार रास्ते
बच्चों का पुकार
बड़ों का सत्कार
शहरों से सटे गांव
गांवों से सटे खेत
घाटों की रौनक
बातों की धाक
दीवारों पर नक्काशी
अदभुत है नगरवासी
यही है
सुबह ए बनारस
शाम ए बनारस
🗒️🖋️🖋️🖋️ शिवमणि"सफ़र"(विकास)