सांस जाती रहती है
हर पल के साथ
नींद उड़ती रहती है
हर रात के साथ
दिल की धड़कनें कमजोर हो जाती है
नब्ज भी थिरकने लगते हैं
अंधेरी रात और भी लंबी हो जाती है
हर पहर के साथ
सुबह के इंतजार में
नींद भी चलने लगती है
किसी बची हुई सफर पर
जिंदगी के अनुभव
कभी कड़वे से लगते हैं
और कभी मीठे से
कभी-कभी हम
सब कुछ कह जाना चाहते हैं
और कभी-कभी
निरंतर खामोशी
किसी स्वप्न के आगोश में
सांसे चलती है
बातें चलती है
राहें बनती है
वो स्वप्न
कभी धूमिल सा
कभी डरावना
कभी उमंगों सा
कभी बिल्कुल सूना
कभी बचपन स्वप्न बनकर चला आता है
और कभी जवानी
कभी मीठी यादें लिए हुए
करुणा भरी कहानीं
अब तो वो कैद हो गए हैं
गुजरे हुए सपनों में
न हाथ आते हैं, न पास
यादें, यादें और बस यादें ही
जिंदगी को कदम देती है
जिंदगी में रंग भरती है
बची हुई राहों में सुगंध भरती है
उसी सुगंध के सहारे
हम आगे बढ़ते हैं
सफ़र करते हैं
बची हुई राहों पर
🗒️🖋️🖋️🖋️ शिवमणि"सफ़र"(विकास)