स्त्री तू कौन है
तू क्यों मौन है
रह तू मौन
देखता हूं
तेरा पक्ष लेता है कौन
किस पर भरोसा करके बैठी है तु
इन नामर्दो पर
ये क्या तुझे पहचान दिलाएंगे
जो खुद को ही नहीं पहचानते
वो क्या तुझे पहचानेंगे
तुझे खुद को पहचानना होगा
अब बदलना होगा तुझको
बदलाव का रास्ता तू पकड़
चल तू होकर बेखबर
इज्जत, शोहरत
धर्म-दान, मान-सम्मान
प्रेम दया ममता
क्षमा शील क्षमता
जो भी है तेरा
तू रख अपने पास
न हो उदास, न हो निराश
तुझमें कम न हो विश्वास
कस ले कमर
होकर निडर
बदलाव की राह को पकड़
चल तू, आगे बढ़ तु
धीरे ही सही पर पग धर तु
बदल अपनी चाल
कर तु नया कमाल
अब तक तु शांत थी
करुणा तेरी प्रधान थी
पर क्या हुआ उस करूणा का
जो तेरी पहचान थी
तेरी उसी करुणा का
ये निर्लज्ज फायदा उठा रहे हैं
तु इसकी सीमा को घटा
न कि तु इसको मिटा
क्योंकि
यही तेरी पहचान है
यही तेरी मुस्कान है
यही तेरा ईमान है
यही तेरा सम्मान है
पर सिर्फ इसी के सहारे मत तु चलना
बदलाव की राह को होगा पकडना
क्योंकि
ये नामर्द तुझे इच्छापूरक समझते हैं
तुझे ये निर्जिव मूरत समझते हैं
अब जवाब दे तु
तू ना चाह पर भी तुझे देना होगा
इन्हे बताना होगा
कि तू कौन है
तू यह समस्त संसार है
कि तू संसार का उद्धार है
तू कर्तव्य है
कि तू वक्तव्य
तू जीवन दायिनी है
कि मोक्ष दायिनी है
तू आश्रय है कि शरण है
तू शांति है कि शील है
तू प्रेम है कि दया है
तू क्षमा है प्रभा है
या ज्योति कि आभा
घर की इज्जत है
या परिवार की शोहरत है
तू संघर्ष है कि संकल्प है
या और भी कुछ जो अव्यक्त है।
तू क्यों मौन है
रह तू मौन
देखता हूं
तेरा पक्ष लेता है कौन
किस पर भरोसा करके बैठी है तु
इन नामर्दो पर
ये क्या तुझे पहचान दिलाएंगे
जो खुद को ही नहीं पहचानते
वो क्या तुझे पहचानेंगे
तुझे खुद को पहचानना होगा
अब बदलना होगा तुझको
बदलाव का रास्ता तू पकड़
चल तू होकर बेखबर
इज्जत, शोहरत
धर्म-दान, मान-सम्मान
प्रेम दया ममता
क्षमा शील क्षमता
जो भी है तेरा
तू रख अपने पास
न हो उदास, न हो निराश
तुझमें कम न हो विश्वास
कस ले कमर
होकर निडर
बदलाव की राह को पकड़
चल तू, आगे बढ़ तु
धीरे ही सही पर पग धर तु
बदल अपनी चाल
कर तु नया कमाल
अब तक तु शांत थी
करुणा तेरी प्रधान थी
पर क्या हुआ उस करूणा का
जो तेरी पहचान थी
तेरी उसी करुणा का
ये निर्लज्ज फायदा उठा रहे हैं
तु इसकी सीमा को घटा
न कि तु इसको मिटा
क्योंकि
यही तेरी पहचान है
यही तेरी मुस्कान है
यही तेरा ईमान है
यही तेरा सम्मान है
पर सिर्फ इसी के सहारे मत तु चलना
बदलाव की राह को होगा पकडना
क्योंकि
ये नामर्द तुझे इच्छापूरक समझते हैं
तुझे ये निर्जिव मूरत समझते हैं
अब जवाब दे तु
तू ना चाह पर भी तुझे देना होगा
इन्हे बताना होगा
कि तू कौन है
तू यह समस्त संसार है
कि तू संसार का उद्धार है
तू कर्तव्य है
कि तू वक्तव्य
तू जीवन दायिनी है
कि मोक्ष दायिनी है
तू आश्रय है कि शरण है
तू शांति है कि शील है
तू प्रेम है कि दया है
तू क्षमा है प्रभा है
या ज्योति कि आभा
घर की इज्जत है
या परिवार की शोहरत है
तू संघर्ष है कि संकल्प है
या और भी कुछ जो अव्यक्त है।
🗒️🖋️🖋️🖋️ शिवमणि"सफ़र"(विकास)