गहरे सागर बहा नहीं करते,
छिछली नदियों की तरह|
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समन्दर की लहरें शोर बड़ा करती हैं,
लेकिन अपने अन्दर एक गहराई लिए फिरती हैं|
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तुम सागरों से शर्त रखते हो,
कि उनसे गहरी जमीं बनाओगे|
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जंगल कितने ही बदसूरत क्यों ही न हो,
दुनियाँ के सबसे खूबसूरत फूल वहीं मिलते हैं|
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नदियाँ जब अपने मंजिल तक पहुँच जाती है,
तो वो बिल्कुल स्थिर व शांत हो जाती हैं|
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नदियाँ कब तक दौड़ेंगीं,
कहीं न कहीं तो उन्हे ठहरना ही होगा|
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