उदय हुआ अंशुमाल का,
भाग खड़े जल-अंश,
करलव हुआ नभचरों का,
जाग पड़े मनु-अंश।
भाग खड़े जल-अंश,
करलव हुआ नभचरों का,
जाग पड़े मनु-अंश।
लोप हुआ नभचरों बिंदुओं का,
भाग खड़ा अंधकार,
जैसे दिखे दिवाकर महाराज ,
खुश हुआ समस्त संसार।
भाग खड़ा अंधकार,
जैसे दिखे दिवाकर महाराज ,
खुश हुआ समस्त संसार।
चल पड़ा संसार अब,
पूरा करने काम सब,
आ पड़ी भी बिपदा बड़ी भारी,
भूल गया वह हिम्मत सारी।
पूरा करने काम सब,
आ पड़ी भी बिपदा बड़ी भारी,
भूल गया वह हिम्मत सारी।
खो गया संस्कार जब,
मच गया हाहाकार तब,
पैसों की भूखी दुनिया,
भूल गई सदाचार अब।
मच गया हाहाकार तब,
पैसों की भूखी दुनिया,
भूल गई सदाचार अब।
रों-रों कर हर मनुष्य,
देता है बस यही दुहाई,
मर गई मानवता सारी,
भूल गए सब जिम्मेदारी।
देता है बस यही दुहाई,
मर गई मानवता सारी,
भूल गए सब जिम्मेदारी।
भूल गए ये दुनियां वाले,
सत्य,अहिंसा,परोपकार,
पैसों के सब दास हुए,
इसीलिए मचा है दुनिया में हाहाकार।
सत्य,अहिंसा,परोपकार,
पैसों के सब दास हुए,
इसीलिए मचा है दुनिया में हाहाकार।
🗒️🖋️🖋️🖋️ शिवमणि"सफ़र"(विकास)