जब चमचमाती धूप में
पैरों से रिक्शा खींचोगे
तब बहेगा पसीना।
जब भरी दोपहरी में
पैर अपने घिसाओगे
तब बहेगा पसीना।
जब आग के सामने
चूल्हे में रोटी सेंकोगे
तब बहेगा पसीना।
जब चिलचिलाती धूप में
पेड़ों के छांव पड़ेगा सोना
तब बहेगा पसीना।
जब सुबह शाम फावड़ा लेकर
बनाओगे तुम सब खेत मेड
तब बहेगा पसीना।
जब कोयले के आग के सामने
बेचोगे तुम सब छोला-भटुरा
तब बहेगा पसीना।
जब खाली पेट में
तुम्हारे चूहे कूदेंगे
तब बहेगा पसीना।
जब दस रुपए बचने के लिए
दो तीन किमी पैदल चलोगे
तब बहेगा पसीना।
AC के कमरों में बैठकर
नहीं बहता है पसीना।
ख़ुद कूड़ा गिराकर फिर
उसी की सफाई करने पर
नहीं बहता है पसीना।
रिश्वत के पैसे खा कर
नहीं बहता हैं पसीना।
🗒️🖋️🖋️🖋️ शिवमणि"सफ़र"(विकास)