नसीबों के शहर में तुम किसी को याद करते हो,
क्यों बिखरे हुए दर्द में किसी की फरियाद करते हो|
ये सांसे चल रही है, इन्हे अपने आप चलने दो,
सब कुछ सही हो जाएगा, हवा का रुख बदलने दो|
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इश्क़ एक दरिया है,
इसका कोई पार नहीं|
ये बहता ही चला जाएगा,
इसका कोई उद्गार नहीं|
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दुनियां को जीतकर
जोगी बन बैठे हैं|
सागर से गहरे हैं,
पर लहरों से ऐंठे है।
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क्यूं इतने टूटे-टूटे से हो तुम,
क्यूं इतना खुद से रूठे से हो तुम,
ये शरारती आखें और मुस्कुरातें होंठ,
कितना कुछ तो है, तुम्हारे पास,
किसी के भी दिल पर वार करने के लिए,
फिर भी तुम कहीं पीछे छूटे से हो तुम|
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तुम हर बार बदल रहे हो,
तुम हर वार पर संभल रहे हो,
तुम प्यार क्या कर सकोगे,
तुम हर एक ताल बदल रहे हो|
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क्यों शांत सागर को हिलोर देना चाहती हो,
क्यों बहते दरियाँ को मोड़ देना चाहती हो,
हमें तो आदत है अकेले मुस्कुराने की,
क्यों अपनी अदाओं से दिल को झकझोर देना चाहती हो|
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इन आंखों की मदहोशी जरा दूर ही रखो,
इन होठों की खामोशी थोड़ा दूर ही रखो,
कहीं दूर से आई हवा कह रही है मुझसे,
अपने दिल की बेहोशी थोड़ा दूर ही रखो|
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तुम क्यों रूठे रूठे से लग रहे हो,
तुम क्यों टूटे टूटे से लग रहे हो,
ये बस शरारते है इन्हें छोड़ो न,
दिल में छिपी बात को बोलो न।
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ये गफ़लती आंखे,
जरा दूर ही रखो इन्हें हमसे।
कहीं डूब न जाएं हम,
इस गहरे समन्दर में।
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मेरे मुंह सिले थे,
और मन में कुछ शिकवे गिले थे।
फिर मैं कभी कह न पाया,
और कहें बिना कभी रह न पाया।
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तुम्हारे रूठ जाने की कोई वजह तो होगी,
तुम्हारे आंखे चुराने की कोई वजह तो होगी,
जरा हम भी जाने, कि हमने क्या सितम ढाया है तुम पर,
तुम्हारी राह बदल जाने की कोई वजह तो होगी।
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दूरियां बहुत है, साथ जद्दोजहत,
लेकिन तुम्हारी याद तो है,
जी लेंगे उन्हीं यादों से जिंदगी,
कुछ तुम्हारे वादें साथ तो है।
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सपनें बहुत देखे थे हमने भी,
अपने बहुत देखे थे हमने भी,
पर वक्त का फैसला था,
और वक्त का किया धरा,
न सपने पा सके, न अपने ही।
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ये तेरी गफ़लती आंखे,
जरा कहों इनसे बातें कम किया करें|
कहीं डूब न जाएं हम,
इस गहरे समन्दर में|
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तेरा बचपना और उस पर ये आँवारगीपन,
रोंको इन्हे, कहीं चुरा न ले जाएं, मेरा तन-मन|
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करते रहेंगे हम फ़रियाद,
तुम्हारे मुस्कुराने की|
गढ़ते रहेंगे एक नई रात,
तुम्हारे सपनों को सजाने की।
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ये सफ़र खत्म हुआ,
अभी याद तो बाकी है|
एक दिन मिलने का,
अभी फ़रियाद तो बाक़ी है।
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कभी याद आए तो बुलाया करो,
यूं न भुलाकर हमें तुम सताया करो,
हम तो ठहरे, समंदर की रेत,
बन के लहरें हमें तुम न बहाया करो।
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यूं न छोड़ कर जाओ तुम हमें,
हमारी बातों पर मुस्कुराओ एक दफें,
हम तो सोच सोच कर मर जायेंगे,
यूं न जीते जी मार जाओ तुम हमें।
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दिल का एक खत तुम्हारे नाम भेजा है,
एक बिसरा हुआ एक पैगाम भेजा है|
दिखाने के लिए ही, खोल लेना एक बार तुम,
हमनें तुम्हारे लिए आखिरी शाम भेजा है।
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यूं न हमें देखकर भाग जाया करो,
कभी तो हमारे लिए भी मुस्कुराया करो,
हम नहीं ठहरे तुम्हारे जानी दुश्मन,
कभी तो हमसे भी दो बातें बतियाया करों।
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तुम कहाँ खोई रहती हो आज कल,
किसके सपने में सोई रहती हो आज कल|
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