शब्दों की दुनियाँ में मेरा मन और उसका जीवन
धूलो का एक शैलाब आया,
बहुत ही बेहिसाब आया|
बन्द करके मेरी आँखे,
मुझमें अंधेरा फैलाया|
धूल के उड़ जाने के बाद,
रास्ता साफ़ था,
फिर क्या,
चलना अपने आप था|
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कीड़े धानो के खेतों में धानो को खाते हैं उनके जड़ों और तनों को चबाते ही जाते हैं फिर एक दिन मर जाते हैं उसी खेत में मिल जाते हैं उसी मिट्टी ...
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