जब लहरें ऊपर उठकर,
अपने सर्वोत्तम बिन्दु पर हो,
तब वो सबसे बलशाली नहीं,
सबसे बलशून्य होती हैं|
उनका सारा बल तो,
कहीं और छुपा होता हैं,
कहीं और जवाँ होता हैं,
उनके प्रारंभ में,
और उससे भी पहले,
और उठने के कुछ देर तक|
उसके बाद वे बलहीन हो जाती हैं,
उसके बाद वो गिर जाती हैं,
फिर उठने के लिए,
बस उन्हे साथ चाहिए होता हैं,
एक तीव्र पवन का,
और ऊपर उठने के मन का|
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