मृत्यु निश्चित है

इस काल के गाल के आगे,
किसी की भी नहीं चलती,
चले जाओगे सबकुछ छोड़कर,
एक दिन वह भी वक्त आएगा।

न कोई पैसा, न कोई रुपया,
न ही कोई बल काम आएगा,
कुछ अच्छे काम कर लो मानव,
क्योंकि हम मृत्युलोक के निवासी हैं।

परसों बूढ़ी गयीं और काका गए,
कल दादी गई और दादा भी गए,
मां बाप भी चले जाएंगे एक दिन,
मानव जीवन की यही कहानी है।

न कुछ लाए थे, न कुछ लेकर गए,
जो कुछ बनाए थे तुम्हें देकर गए,
यही हाल तुम्हारा भी होगा मानव,
क्योंकि हम मृत्यु लोके के निवासी हैं।


                  🗒️🖋️🖋️🖋️  शिवमणि"सफ़र"(विकास)

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