अपार अनन्त किनार को देखो
निर्मल स्वच्छ धार को देखो
कितना सुहाना लगता है
खजानों का खाजाना लगता है।
निर्मल स्वच्छ धार को देखो
कितना सुहाना लगता है
खजानों का खाजाना लगता है।
कभी सांझ के बादलों
में छिप जाती है
तो कभी आसमान से
उतरती हुई लहराती है।
में छिप जाती है
तो कभी आसमान से
उतरती हुई लहराती है।
बूढ़े बच्चे हो या स्त्री-पुरुष
चाहे हो मृत या हो जीवित
ये गंगा की अनुपम मझधार
करती है हर जन का सत्कार।
चाहे हो मृत या हो जीवित
ये गंगा की अनुपम मझधार
करती है हर जन का सत्कार।
अनंता की गोद में
अपार की खोज में
बह रही है ये निरन्तर
पवित्र औरनिश्चल-निर्मल।
अपार की खोज में
बह रही है ये निरन्तर
पवित्र औरनिश्चल-निर्मल।
किनारा पकड़ कर चलों
आकाश को पहुंच जाओगे
एक नयीं दुनिया की
सैर कर आओगे।
आकाश को पहुंच जाओगे
एक नयीं दुनिया की
सैर कर आओगे।
🗒️🖋️🖋️🖋️ शिवमणि"सफ़र"(विकास)
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