जब फुदकता है,
कोई जीव बार बार,
बंदर हो या कुत्ता हो,
या हो मानव का आकार।
उसके गले की रस्सी को,
खींचकर देते हैं तान,
और उसे बतला देते हैं, कि
ये जंजीर ही मेरी ताकत है।
जब कोई भी विपक्षी बोलता है,
सत्ता की सच्चाई खोलता है,
सत्ता के अंधभक्त नौजवान,
देते हैं विपक्षी का जंजीर तान।
जंजीर को एक नाम दे देते हैं,
वह है जातिवाद या धर्मांध,
तुममें ही है सारी बुराईं, क्योंकि
तुम करना चाहते हो, मेरी पार्टी की सफाईं।
🗒️🖋️🖋️🖋️ शिवमणि"सफ़र"(विकास)
1 comment:
Nice kavita
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