रेल

झुग झुग करती रेल आई,
सब बच्चों में खुशियां छाई।
एक ने सबको पास बुलाया,
पास बुला कर या बतलाया।

मैंने की हैं रेल की सवारी,
उस से देखी दुनियां सारी।
झरने नदियां पहाड़ को देखा,
फूलों के  बहारों को देखा।

सरपट सरपट आती रेल,
सरपट सरपट जाती है।
सबको खूब घूमाती है,
सबका दिल बहलाती रेल।

जब भगवान ने कृपा बरसाई,
एक मानुष को बुद्धि आयी।
उसने बना डाली एक रेल,
जो हम सब की है प्यारी रेल।

विज्ञान की खोज में आई,
लोगों की सोच में छाई।
जिस दिन दुनिया में आई,
लोगों ने की बहुत बढ़ाई।

जाए स्टीवेन्सन महान था,
जिस पर लोगों को अभिमान था।
जिसने यह रेल बनाई,
हर जन के जो काम आई।

तुम सब भी करना ऐसा काम,
जिससे पहुंचे जन-जन को आराम।
तुम पर लोग अभिमान करेंगे,
उस काम गुणगान करेंगे।


                  🗒️🖋️🖋️🖋️  शिवमणि"सफ़र"(विकास)

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