है ये इलाहाबाद

खुशियों का समुंदर है ये इलाहाबाद,
एक नटखट सा बंदर है ये इलाहाबाद,
जगत में निराला है यह ये इलाहाबाद,
सभी को प्यारा है ये इलाहाबाद।

पतली गलियां और ऊंचे मकान,
छाई रहती है सदा यहां मुस्कान,
कोई दिन में ही तारे गिन रहा है,
कोई मंजिल का रास्ता नाप रहा है।

किसी की सांसे अटकी सी पड़ी है,
कोई बसंत बहार का आनंद ले रहा है
कोई दौड़ा जा रहा है पैसों के पीछे,
कोई राम नाम में जीवन बीता रहा है।

बड़े अजीब लोग रहते हैं यहां पर,
सब के दिलों के करीब रहते हैं यहां पर,
कोई खून का रिश्ता नहीं है इनके बीच,
भाईचारे के आगे कोई टिकता नहीं है इनके बीच।

रिक्शे की रफ्तार, सावन की बौछार,
गंगा का किनार, यहां के लोगों का प्यार,
सभी को यहां का दीवाना बना देता हैं
इस शहर की कुछ आदत है ऐसी कि सब को अपना बना लेता है।

कोई पैदल चलते हुए ही हाफ जाता है,
तो कोई दौड़कर पूरा रास्ता नाप जाता है,
ऐसे भी विचित्र लोग रहते है यहां पर
कोई दूसरे के मन को भी भांप जाता है।

कुंभ का मेला हो,
या फुल्की का ठेला हो,
हमेशा भीड़ रहती है यहां,
चाहे जितना झमेला हो।
जितना घूमोगे इसकी गलियों में,
मन की लालसा बढ़ती ही जाएगी।

हृदय की धड़कने रुकती सी जायेगी,
फिर भी इच्छा पूरी ना हो पाएगी।
निराला है दास्तान शहर का,
मतवाला है अरमान शहर का,
जो भी आया इस शहर में,
भूल न पाया प्यार शहर का।

बड़े भोले हैं यहां के लोग,
बड़े बेमिसाल है यहां के लोग,
पर जो खेला इनकी इज्जत से
उसके लिए काल है यहां के लोग।

लोग त्रिवेणी संगम में नहाने आते हैं,
देवी देवता भी खींचे चले आते हैं।
ऐसा मनमोहक वातावरण है यहां का,
चाह कर भी कभी भूल न पाते हैं।


                  🗒️🖋️🖋️🖋️  शिवमणि"सफ़र"(विकास)

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