भगवान तुम हो कहां

भगवान तुम हो कहां,
ढूंढ रहा है तुझे यह सारा जहां,
फिर भी ना मिला तेरा कोई निशां,
अब तू ही दिखा मुझे आगे का रास्ता।
मंदिर में ढूंढा, मस्जिद में ढूंढा,
चर्च में ढूंढा, गुरुद्वारे में ढूंढा,
गलियों में ढूंढा, मकानों में बूढ़ा,
खेतों में ढूंढा, बागानों में ढूंढा।
पत्थरों में ढूंढा पहाड़ों में ढूंढा,
नदियों में ढूंढा से शिवालय में ढूंढा,
जहां भी तेरे मिलने की उम्मीद दिखी,
मैं उन ख्वाबों ख्यालों में ढूंढा।
रात के अंधेरे में ढूंढा,
दिन के उजाले में ढूंढा,
जहां भी तुम्हारे पद चिन्ह दिखे,
मैं उस हिमालय में भी ढूंढा।
कल्पनाओं के सारे खयालों में ढूंढा,
लोगों के नए मिसालों में ढूंढा,
पेड़ की शाखाओं में ढूंढा,
मन की आशाओं में ढूंढा।
ज्ञानियों के मन में ढूंढा,
अज्ञानियों के तन में ढूंढा,
तू मिल सके जहां भी,
मैं ऐसे वन उपवन में ढूंढा।
लोगों की निगाहों में ढूंढा, वफाओं में ढूंढा,
लोगों के अल्फाजों में ढूंढा, एहसासों में ढूंढा,
पर तू ना मिला मुझे कहीं,
क्या मैं मानु तेरा निशा ही नहीं।
तुझे गरीब पुकारे अमीर पुकारे,
साधु संत और फकीर पुकारे,
युवा जन की बात है क्या,
बच्चे बूढ़े होकर अधीर पुकारे।
आजा तू एक बार मेरे भगवान,
दर्शन दे जा तू एक बार मेरे भगवान,
अपने अस्तित्व को तु दिखा जा, 
लोगों के नास्तिकता को मिटा जा।


                  🗒️🖋️🖋️🖋️  शिवमणि"सफ़र"(विकास)

No comments:

New Posts

कीड़े

कीड़े धानो के खेतों में धानो को खाते हैं उनके जड़ों और तनों को चबाते ही जाते हैं फिर एक दिन मर जाते हैं उसी खेत में मिल जाते हैं उसी मिट्टी ...