गांव की स्त्री

जिंदगी बीत जाती है, उसकी 
चूल्हों में, चौको में 
गाय-भैंस के हौदों में 
खेत के हरी घासों में 
दो बातों के जज्बातों में 
चंद पल के मुलाकातों में 
पिया मिलन के आसो में 
दूर से मुस्कुराने में 
रिश्तो को निभाने में 

दिल में गहरा एहसास लिए
अपनों और सपनों की बात लिए
मीठे समयों की याद लिए 
सबकी खुशियों की फरियाद लिए
पल दो पल की मुलाकात लिए
अपने सपनों की आस लिए

जिंदगी सपाट और सफेद 
निकल जाती है रिश्तो के देश 
यही जीवन है उस तन का
वो जो गांव की स्त्री हैं


                  🗒️🖋️🖋️🖋️  शिवमणि"सफ़र"(विकास)

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