जब लंगड़ा चलता है एक पैर पर,
तब उसका बनता है तमाशा ।
जब गूंगा बोलता है बेसुरा,
तब उसका बनता है तमाशा ।
जब कागज की कश्ती पर,
कोई सागर पार करने के सपने देखे,
तब उसका बनता है तमाशा ।
जब पंछी के पंखों के सहारे,
कोई उड़ने का ख़्वाब देखे,
तब उसका बनता है तमाशा ।
जब एक नादान बालक,
उम्र भर सच बोलने का प्रण ले,
तब उसका बनता है तमाशा ।
जब एक अंधा आदमी,
किसी को राह बताए,
तब उसका बनता है तमाशा ।
जब एक वृद्ध ख्वाबों के लिए रोए,
तब उसका बनता है तमाशा ।
जब कोई पागल राजगद्दी की भूख बोए,
तब उसका बनता है तमाशा ।
🗒️🖋️🖋️🖋️शिवमणि"सफर"(विकास)
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