हो अगर विज्ञान में धर्म
या हो धर्म में विज्ञान
तो क्या कोई कर सकता है
सतत् विकास से संग्राम
फलती-फूलती संस्कृति होगी
बढ़ता-चढ़ता धर्म होगा
अच्छा या बुरा नहीं
कर्म तो सिर्फ कर्म होगा
न मानवता पर कलंक लगेगा
ना मंदिर तोड़े जायेगें
असहिष्णुता की बात ही क्या
विज्ञान में भी गुण आयेंगे
विज्ञान से दुनियां की तबाही
विज्ञान में हैं बहुत बुराई
विज्ञान से हैं धर्म का नाश
विज्ञान हैं एक अभिशाप
जब बनेंगे दोनों संगी-साथी
तब ना होगी यह बर्बादी
दोनों के अवगुण होंगें
दोनों गुणों से भरपूर होंगें।
🗒️🖋️🖋️🖋️ शिवमणि"सफ़र"(विकास)
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