मैं हूं कठोर पत्थर,
तुम हो सुकुमार फूल|
टूटूंगा मैं तो बिखर जाऊंगा,
पर तुम्हारा नामो-निशां नहीं|
मैं रहूंगा अस्तित्व-युक्त,
तुम हो जाओगे अस्तित्व विहीन|
मेरा प्रभाव बना रहेगा,
तुम हो जाओगे प्रभाव-हीन|
अपने कण-कण को संयुक्त कर,
मैं ले लूंगा एक नया आकार|
पर क्या तुम कर सकोगे
अपना कोई रूप साकार|
बनो कठोर पत्थर से तुम,
तुम हो सुकुमार फूल|
टूटूंगा मैं तो बिखर जाऊंगा,
पर तुम्हारा नामो-निशां नहीं|
मैं रहूंगा अस्तित्व-युक्त,
तुम हो जाओगे अस्तित्व विहीन|
मेरा प्रभाव बना रहेगा,
तुम हो जाओगे प्रभाव-हीन|
अपने कण-कण को संयुक्त कर,
मैं ले लूंगा एक नया आकार|
पर क्या तुम कर सकोगे
अपना कोई रूप साकार|
बनो कठोर पत्थर से तुम,
जरूरत पड़े तो बिखर भी जाओ|
पर न लो तुम ऐसा आकार,
समय आने पर निखर न पाओ|
🗒️🖋️🖋️🖋️ शिवमणि"सफ़र"(विकास)
समय आने पर निखर न पाओ|
🗒️🖋️🖋️🖋️ शिवमणि"सफ़र"(विकास)
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