मेरी आकांक्षाएं





मैं भटकता एक राही,
जैसे एक तन्हाई,
गलियों में घूमता हूं पागलों की तरह,
आसमान को चूमता हूं बादलों की तरह।

उड़ना चाहता हूं पंछियों की तरह,
घूमना चाहता हूं शेरों की तरह,
रूठना चाहता हूं बच्चों की तरह,
दौड़ना चाहता हूं हवाओं की तरह।

नाप डालू इस दुनिया को,
अपने छोटे-छोटे कदमों से,
खोज लू एक नया रास्ता,
अपने जिगर के हौसले से।

मेरे सपनों के आगे,
टिक ना पाएगा ये जहां,
मेरे विश्वास के जमीन पर,
बनेगा एक नया रास्ता।

दुनिया की यह रीत पुरानी है,
सब को मुंह की खानी है,
जीतेगा वही यहां पर,
जिसने लिखी अपनी कहानी है।

हौसले रूपी पंखों के बल पर,
अपने सपनों की दुनिया में,
उड़ जा रे राही,
महानता की बन के परछाई।

एक वह दिन आएगा,
दुनिया में तु छा जाएगा,
पकड़ ले संघर्ष की डोर को,
उड़ जाए एक नई ओर को।

लिख दे तू अपना इतिहास,
बना ले तू अपना विश्वास,
न देख तू आर-पार,
पकड़ ले अपने सपनों की मझधार।

क्यों मेरी कदम तुम्हारी,
एक दिन यह दुनिया सारी,
होंगी तेरे पास सारी खुशियां,
लगा विश्वास की  ऐसी बगियां।

                  🗒️🖋️🖋️🖋️  शिवमणि"सफ़र"(विकास)

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